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Kavita Kosh से
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया|
ये हादसा तो सोच की गहराई ले गया|
अब असद तुम्हारे लिये कुछ नहीं रहा,
गलियों के सारे सन्ग संग तो सौदाई ले गया|
अब तो ख़ुद अपनी साँसें भी लगती हैं बोझ सी,
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