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05:40, 15 फ़रवरी 2010 लिख दिया अपने दर पे किसी ने<br />
इस जगह प्यार करना मना है
प्यार अगर हो भी जाए किसी को<br />
इसका इज़हार करना मना है
उनकी महफ़िल में जब कोई आये<br />
पहले नज़रें वो अपनी झुकाए
वो सनम जो खुदा बन गये हैं<br />
उनका दीदार करना मना है
जाग उठ्ठे तो आहें भरेंगे<br />
हुस्न वालों को रुसवा करेंगे
सो गये हैं जो फुरक़त के मारे<br />
उनको बेदार करना मना है
हमने की अर्ज़ ऐ बंदा-परवर <br />
क्यूँ सितम ढा रहे हो यह हम पर
बात सुन कर हमारी वो बोले<br />
हमसे तकरार करना मना है
सामने जो खुला है झरोखा<br />
खा न जाना क़तील कहीं उनका धोखा
अब भी अपने लिए उस गली में<br />
शौक-ए-दीदार करना मना है