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{{KKRachna
|रचनाकार=कात्यायनी
|संग्रह=फुटपाथ पर कुर्सी / कात्यायनी
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<Poem>
ख़ामोश उदास घंटियों की
सरगर्मियों और जोख़िम के
एकदम बीचोंबीच खड़े थे ।
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