भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}== समयातीत पूर्ण ३ {{KKRachna =|रचनाकार=कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita}}<poem>हे माधव
तुमने किया
जीवन को पूर्ण स्वीकार
मथुरा छोड़ी सारा यादव कुल था बेचैन
युमना के कगारों को
गाव की गलियो को
जीवन के प्रति कटु गंभीरता की नियति
विलोपन और विस्तृति के सिवा कुछ नहीं है
</poem>