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|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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कहीं से टूटा भी हृदय अपना नित्य अपना
रहेगा. । भूले भी पथ पर इसे छोड़ कर जो चलेगा, भोगेगा. । क्षण क्षण कहानी अवश सी
सुनाएगी गाथा, मुखर मुख होंगे सुरस से
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