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[[Category:गीत]]
मेरे दिल कहीं और चल 
ग़म की दुनिया से दिल भर गया
 
ढूंढ ले अब कोई दिल नया
 
चल जहाँ ग़म के मारे न हों
 
झूठी आशा के तारे न हों
 
इन बहारों से क्या फ़ायदा
 
जिसमें दिल की कली जल गई
 
ज़ख़्म फिर से हरा हो गया
  मेरे दिल कहीं और चल.... 
चार आँसू कोई रो दिया
 
फेर कर मुँह कोई चल दिया
 
लुट रहा था किसी का जहाँ
 
देखती रह गई ये ज़मीं
 
चुप रहा बेरहम आस्माँ
  मेरे दिल कहीं और चल...
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