भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
34 bytes removed,
03:34, 24 फ़रवरी 2010
}}
[[Category:गज़ल]]
<poem>
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी
ऐसा तो कम ही होता है वो भी हों तनहाई भी
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी <br>यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं ऐसा तो कम ही होता कितनी सौंधी लगती है वो भी हो तनहाई तब माज़ी की रुसवाई भी<br><br>
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती दो दो शक़्लें दिखती हैं <br>इस बहके से आईने में कितनी सौंधी लगती मेरे साथ चला आया है तब माँझी की रुसवाई आपका इक सौदाई भी <br><br>
दो दो शक़्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में <br>मेरे साथ चला आया है आप का इक सौदाई भी <br><br> ख़ामोशी का हासिल भी इक लम्बी सी ख़ामोशी है <br>उन की बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी <br><br/poem>