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कूं कूं चर्खया,मैं लाल पूणी कतां के न?
कत्त बीबी कत्त.
दूर मेरे सवारेसौरे,दस वसां के न?
वस बीबी वस.
 
-पेक़े दी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले,
मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले,
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-चक्की मुड पे आता पीह के आटा पीवन दोनों नन्द जिठानी,
सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी,
चटक मटक के भाबो आई, सिरे ते मटका चाया ए.
-सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ,
भार पिंडे ते धौण डौल डोल गई दूर पिंडे दियां रावां,
दूरों किदरों फाती आये, सिरे ते मटका चाया ए,
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-असीं निषंग निशंग मलंग बेलिया असीं निषंग निशंग मलंग, सानु हसन हस्सन खेडण भावे,
कम्म काज की आखे सानु, मन दी मौज उड़ाइए,
जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई,
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