भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
रोज़े-रिन्दी<ref>शराब पीने का दिन</ref> है नसीबे-दीगराँ<ref>दूसरों की क़िस्मत में</ref>
शायरी की सिर्फ़ क़ूवत <ref>ताक़त</ref> है मुझे
नग़मये-योरप से मैं वाक़िफ़ नहीं
Delete, Mover, Uploader
894
edits