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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>कहते हो , न देंगे हम , दिल अगर पड़ा पाया<br>दिल कहाँ कहां कि गुम कीजे ? हमने मुद्दआ मुद्दआ़ पाया<br><br>
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त <ref>जिंदगी</ref> का मज़ा पाया<br>दर्द की दवा पाई , दर्दबे-ए-बेदवा दवा पाया<br><br>
सादगी-ओ-व पुरकारी बेख़ुदी-ओ-होशियारी<brref>चालाकी</ref> बेख़ुदी व हुशियारीहुस्न को तग़ाफ़ुल <ref>उदासीनता</ref> में जुरअत -आज़मा पाया<br><br>
हाल-ए-दिल नहीं मालूम , लेकिन इस क़दर -- यानी<br>हम ने बारहा ढुँढा <ref>बार बार</ref> ढूंढा, तुम ने बारहा पाया<br><br>
शोर-ए-पन्द-एपन्दे-नासेह <ref>उपदेशक के उपदेश का शोर</ref> ने ज़ख़्म पर नमक छिड़का<br>आप से कोई पूछे , तुम ने क्या मज़ा पाया<br><br/poem>{{KKMeaning}}