भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>गोरी दियां झान्जरां बुलौन्दिया गैयाँ...
गोरी दियां ,
 
गलियां दे विच दंड पौन्दियाँ गैयाँ...
गोरी दियां .
219
edits