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इन्हीं ख़ुशगुमानियों में कहीं जाँ से भी न जाओ
वो जो चारागर नहीं है उसे ज़ख़्म क्यूँ दिखाओ
ये उदासियों के मौसम कहीं रायेगाँ न जायें जाएँ
किसी ज़ख़्म को कुरेदो किसी दर्द को जगाओ
तुम्हें साथ छोड़ना है तो अभी से छोड़ जाओ
ये जुदाइयों के रस्ते बड़ी दूर तक गये गए हैं
जो गया वो फिर न लौटा मेरी बात मान जाओ