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02:17, 1 मार्च 2010
काली घटा छाई{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=इंदीवर}}[[Category:गीत]]<poem>कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, हो राजा! काली घटा छाई।तड़पता हुआ जब कोई छोड़ देतब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा दर खुला है खुला ही रहेगातुम्हारे लिये, कोई जब ...
शीशे की पालकी में तेरी लाल परी आई।।अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं, बहुत चाहने वाले मिल जाएंगेअभी रूप का एक सागर हो तुम, कंवल जितने चाहोगी खिल जाएंगेदर्पण तुम्हें जब डराने लगे, जवानी भी दामन छुड़ाने लगेतब तुम मेरे पास आना प्रिये, मेरा सर झुका है झुका ही रहेगा तुम्हारे लिये, कोई जब ...
:दो दिन की ज़िन्दगानी है जी भर के पिए जाकोई शर्त होती नहीं प्यार में, मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया :तौबा के साथ-साथ इसे ख़त्म किए जा।। :मैं भर के जाम लाईनज़र में सितारे जो चमके ज़रा, हो राजा! काली घटा छाई।। ::अब आके चला जाएगा रिमझिम बुझाने लगीं आरती का ज़माना।दियाजब अपनी नज़र में ही गिरने लगो, अंधेरों में अपने ही घिरने लगो::हो जाए कहीं ख़त्म साँसों का ख़जाना।।तब तुम मेरे पास आना प्रिये, ये दीपक जला है जला ही रहेगातुम्हारे लिये, कोई जब ...::है ज़िन्दगी हरजाई, हो राजा! काली घटा छाई।।</poem>