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02:28, 1 मार्च 2010
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान,{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=इंदीवर}}[[Category:गीत]]<poem>जब ज़ीरो दिया मेरे भारत नेभारत ने मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आईतारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलाई
कि दिन सारे होते नहीं एक समान ।देता ना दशमलव भारत तो यूँ चाँद पे जाना मुश्किल थाधरती और चाँद की दूरी काअंदाज़ लगाना मुश्किल था
सभ्यता जहाँ पहले आई
पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे और फूले-फले
ओ आँखों से देख अपने दाता है प्रीत जहाँ की लीला,रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँभारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ
जो दुखकाले-सुख गोरे का भेद नहीं हर दिल से जीवन बनाए रंगीला।हमारा नाता है कुछ और न आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है जिसे मान चुकी सारी दुनियामैं बात वही दोहराता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ
न समझो ग़रीबों जीते हो किसीने देश तो क्याहमने तो दिलों को जीता है जहाँ राम अभी तक है नर में नारी में अभी तक सीता है इतने पावन हैं लोग जहाँ मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ भारत का कोई नहीं,रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ
दया मेरे मालिक की सोई नहीं।इतनी ममता नदियों को भी जहाँ माता कहके बुलाते है जो महलों से गलियों में लाकर रुलाए, जो पल भर में तोड़ेगा दौलत का मान।। भोले मुसाफ़िर इतना आदर इन्सान तो जान...क्यापत्थर भी पूजे जातें है उस धरती पे मैंने जन्म लिया वो कहते हैं जिसको रहीम और राम,ये सोच के मैं इतराता हूँ वो अल्लाह-- ईश्वर, ख़ुदा जिसका नाम! वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार, देगा वही तुझ को ख़ुशियों भारत का दान।। रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...</poem>