मोरा गोरा अंग लइ ले, मोहे शाम रंग दइ दे{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=शैलेन्द्र}}[[Category:गीत]]<br /poem>छुप जाऊँगी रात ही में, मोहे पी तेरा जानादिल के अरमानों का संग दइ दे<br />लुट जानाकोई देखेबन के तक़दीरों का मिट जानातेरा जाना...
एक लाज रोके पैयाँ , एक मोह खींचे बैयाँ<br />तेरा ग़म तेरी ख़ुशीजाऊँ किधर न जानूँ, हम मेरा ग़म मेरी ख़ुशीतुझसे ही थी ज़िन्दगीहँस कर हमने था कहाजीवन भर का कोई बताई दे<br />साथ हैये कल ही की बात हैतेरा जाना...
बदरी हटा के चंदा, चुपके से झाँके चंदा<br />जब-जब चन्दा आयेगातोहे राहू लागे बैरी, मुस्काये जी जलाइ के<br />तेरी याद दिलायेगासारी रात जगायेगामैं रो कर रह जाऊँगीदिल जब ज़िद पर आयेगादिल को कौन मनायेगातेरा जाना...कुछ खो दिया है पाइ के, कुछ पा लिया गवाइ के<br /poem>कहाँ ले चला है मनवा, मोहे बाँवरी बनाइ के