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05:18, 1 मार्च 2010
ओ रे माझी, ओ रे माझी, ओ ओ मेरे माझी<br />{{KKGlobal}}मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार<br />{{KKRachna|रचनाकार=शैलेन्द्र}}[[Category:गीत]]ओ मेरे माझी, अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार<br /poem>मेरे साजन हैं उस पारबेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवानाऐसे मनमौजी को मुश्किल है समझाना - है नाबेगानी शादी में ...<br />
हो मन की किताब से तूदुल्हन बनूँगी मैं, मेरा नाम ही मिटा देना<br />डोली चढ़ूँगी मैंगुन दूर कहीं बालम के, दिल में रहूँगी मैंतुम तो न था कोई भीपराए हो, अवगुन मेरे भुला देना<br />यूँ ही ललचाए होमुझको आज की बिदा का मर के भी रहता इंतज़ार<br />जाने किस दुनिया से, जाने क्यूँ आए होमेरे साजनबेगानी शादी में ...<br />
मत खेल जल जाएगीलहराती जाऊँ मैं, कहती है आग मेरे मन की<br />बल खाती जाऊँ मैंखड़ी-खड़ी रस्ते में, पायल बजाऊँ मैंपलकें बिछाऊँ मैं बंदिनी पिया की, मैँ संगिनी हूँ साजन की<br />दिल में बुलाऊँ मैंमेरा खींचती समझे न कुछ भी वो, कैसे समझाऊँ मैंबेगानी शादी में ... बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवानादिल की इन बातों को मुश्किल है आँचलसमझाना अपना बेगाना कौन, मन मीत तेरी हर पुकार<br />जाना अनजाना कौनमेरे साजन हैं उस पार<br />अपने दिल से पूछो, दिल को पहचाना कौनओ रे माझी ओ रे माझी ओ ओ मेरे माझी<br />पल में लुट जाता है, यूँ ही बह जाता हैमेरे साजन हैं उस पारशादी किसी की हो, अपना दिल गाता हैबेगानी शादी में ...</poem>