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बुझ गये ग़म की हवा से, प्यार के जलते चराग<br />{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=शैलेन्द्र}}[[Category:गीत]]बेवफ़ाई चाँद ने की, पड़ गया इसमें भी दाग<br /poem>मेरा नाम राजू घराना अनामबहती है गंगा जहाँ मेरा धाममेरा नाम राजू ...
हम दर्द काम नये नित गीत बनानागीत बना के मारों काजहां को सुनानाकोई न मिले तो अकेले में गानाकविराज कहे, इतना ही फ़साना है<br />न ये ताज रहेपीने को शराब-ए-ग़मन ये राज रहे, दिल गम न ये राजघरानाप्रीत और प्रीत का निशाना है<br />गीत रहेकभी लूट सका न कोई ये खज़ानामेरा नाम राजू ...
दिल एक खिलौना है, तक़दीर के हाथों धूल का इक बादल अलबेलानिकला हूँ अपने सफ़र में<br />अकेलामरने की तमन्ना है, जीने छुप-छुप देखूँ मैं दुनिया का बहाना है<br />मेलादेते हैं दुआएं हमकाहे मान करे, दुनिया की जफ़ाओं को<br />अभिमान करेक्यों उनको भुलाएं हम, अब खुद को भुलाना नादान तुझे इक दिन तो है<br />जानाडफ़ली उठा आवाज़ मिलाहँस हँस गा मिल के बहारें तो, शबनम को रुलाती हैं<br />मेरे संग प्रेम तरानामेरा नाम राजू ...आज अपनी मुहब्बत पर, बगिया को रुलाना है<br /poem>हम दर्द के मारों का, इतना ही फ़साना है
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