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Kavita Kosh से
कविता को भी यदि
जुगाड़ और अवसर के कीचड कीचड़ से लपेटना है
तो बिना कविता के ही ज़िंदगी ख़ूब नरक है
कुछ चीज़ें पवित्र हैं जैसे