Changes

अभाव / नीलेश रघुवंशी

16 bytes added, 05:52, 3 मार्च 2010
|संग्रह=घर-निकासी / नीलेश रघुवंशी
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>
इस बार फिर मेरे बैग को
 
मत टटोलना माँ
 
तंगहाली के सपनों के सिवा
 
कुछ नहीं है उसमें।
 
जानती हूँ ख़ूब फबेगी तुझ पर वह साड़ी
 
पर साड़ी सपनों से
 
ख़रीदी नहीं जा सकती ।
 
काश ख़रीद पाती मैं तुम्हारे लिए
 
सिंदूर और साड़ी
 
पिता के लिए नया कुर्ता
 
भाई के लिए मफ़लर
 जबान जवान होती बहन के लेए कुछ सपने । 
ख़ाली जेबों में हाथ डाले
 हर रोज़ जाती हूँ बाजा़रबाज़ारऔर घंटों करती रहती हूँ वंडोविंडो-शॉपिंग ।</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,043
edits