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लेकिन यही कि 'रफ़्त' -- 'गया', और 'बूद' -- था
मैं वर्ना हर लिबास में नंगे-वजूद<ref>अस्तित्व का कलंक</ref> था
तेशे बग़ैर मर न सका कोहकन<ref>फ़रहाद-शीरीं का प्रेमी</ref> 'असद'
</poem>
{{KKMeaning}}