भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
[[Category:ग़ज़ल]]
छोड़ा न रश्क <ref>ईर्ष्या</ref> ने कि तेरे घर का नाम लूँ <br>हर एक इक से पूछता हूँ कि जाऊँ किधर को मैं <br><br>
जाना पड़ा रक़ीब के दर पर हज़ार बार <br>ऐ काश , जानता न तेरी रहगुज़र को मैं <br><br>
है क्या जो कस के बाँधिये मेरी बला डरे <br>क्या जानता नहीं हूँ तुम्हारी कमर को मैं <br><br>
लो , वो भी कहते हैं कि ये बेनंग-ओ-नाम है <br>ये जानता अगर तो लुटाता न घर को मैं <br><br>
चलता हूँ थोड़ी दूर हर -इक तेज़ -रौ के साथ <br>पहचानता नहीं हूँ अभी राहबर को मैं <brref>पथ-प्रदर्शक<br/ref>को मैं
ख़्वाहिश को अहमक़ों ने परस्तिश दिया क़रार <brref>पूजा</ref> दिया क़रार क्या पूजता हूँ उस बुत-ए-बेदादगार को मैं बेदादगर<brref>निष्ठुर प्रिय<br/ref>को मैं
फिर बेख़ुदी में भूल गया , राह-ए-कू-ए-यार <br>जाता वगर्ना एक दिन अपनी ख़बर को मैं <br><br>
अपने पे कर रहा हूँ क़यास <ref>अनुमान लगाना</ref> अहल-ए-दहर का <brref>दुनिया वाले</ref> का समझा हूँ दिल -पज़ीर मता<ref>दिल को लुभाने वाला</ref> मताअ़-ए-हुनर को मैं <brref>हुनर की दौलत<br/ref>को मैं
"ग़ालिब" ख़ुदा करे कि सवार-ए-समंद-ए-नाज़ <brref>गर्व के घोड़े पर सवार</ref>देखूँ अली बहादुर-ए-आलीगुहर को मैं आली-गुहर<brref>अली बहादुर - एक पीर<br/ref>को मैं</poem>{{KKMeaning}}