भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हत्यारे / नीलेश रघुवंशी

No change in size, 10:24, 5 मार्च 2010
हत्यारे सिर्फ़ हत्यारे होंगे।
हत्यारोंका निशानाहोंगे हत्यारों का निशाना होंगे अब
खुले मैदान और फूलों से भरे बगीचे
ले जाएँगे वे अपने साथ
होते हैं हत्यारे फ़िराक़ में
नई-नई इच्छाओं नए-नए स्वप्नों के।
एक्दिनएक दिन
सारे उत्सव और त्यौहार
होंगे हत्यारों की झोली में।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,118
edits