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ख़लिशे-ग़म्ज़-ए-खूँरेज़<ref>रक्तिम कटाक्ष की चुभन</ref> न पूछ
देख खूनाबाख़ूनाबा-फ़िशानी<ref>रक्त-अश्रु-बहाना</ref> मेरी
क्या बयाँ करके मेरा रोएँगे यार
खुल गयी हेच-मदानी<ref>मूर्खता</ref> मेरी
कर दिया ज़ओफ़<ref>निर्बलता</ref> ने आज़िज़<ref>तंग,दुखी</ref> "ग़ालिब"
नंग-ए-पीरी<ref>बुढ़ापे को लज्जित करने वाली</ref> है जवानी मेरी
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