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Kavita Kosh से
वो जीवन मे सुख पा लेते भी तो कैसे
जिनको ड़सते डसते इच्छाओं के नाग रहे हैं
रंगों से नाता ही मानो टूट गया हो
अपने जावन जीवन मे ऐसे भी फाग रहे हैं
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