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{{KKGlobal}}{{KKFilmSongCategories|वर्ग=देश भक्ति गीत}}{{KKFilmRachna|रचनाकार= बिस्मिल अज़ीमाबादी (राम प्रसाद बिस्मिल)}}<poem>सरफरोशी सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर ज़ोर कितना बाजुए कातिल बाज़ू-ए-क़ातिल में है ।...
(ऐ वतन,) करता नहीं क्यों दुसरा क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल महफ़िल में हैऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में हैसरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ।...
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून, क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है...
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