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Kavita Kosh से
छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
नये दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2...
आज पुरानी जंजीरों ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैंक्या देखें उस मंजिल को जो छोड़ चुके हैंचाँद के दर पे जा पहुंचा है आज जमानाज़माना
नये जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2...
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2...
आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएंअपने हाथों को अपना भगवान बनाएंराम की इस धरती को गौतम की भूमी कोसपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएंनया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानीहम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी ... हर जर्रा ज़र्रा है मोती, आंख आँख उठाकर देखोमाटी में सोना है, हाथ बढ़ाकर देखोसोने की ये गंगा है, चांदी की यमुना
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी -2...
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