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}}
 <poem>हम इन्तेज़ार इन्तज़ार करेंगे तेरा क़यामत तक 
ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए
 यह इन्तेज़ार इन्तज़ार भी एक इम्तेहान इम्तिहान होता है 
इसी से इश्क का शोला जवान होता है
 यह इन्तेज़ार इन्तज़ार सलामत हो और तू आए 
बिछाए शौक़ के सजदे वफ़ा की राहों में
 
खड़े हैं दीद की हसरत लिए निगाहों में
 
कुबूल दिल की इबादत हो और तू आए
 वो ख़ुशनसीब हो जिसको तू इन्तेख़ाब इन्तिख़ाब करे ख़ुदा हमारी मौहब्बत मोहब्बत को कामयाब करे 
जवाँ सितार-ए-क़िस्मत हो और तू आए
 
 
ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए
</poem>
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