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Kavita Kosh से
का ए! मैं दोहराता हूँ, मन गुदगुदाता है
कहीं दूर सुन पड़ती है फिर आवाज़ तुम्हारी-
इस धरती से आख़्र आख़िर कुछ मेरा भी नाता है
प्रेम के पंख होते हैं- लोगों का कहना है