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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
जुज़<ref>सिवाय</ref> क़ैस<ref>लैला
का प्रेमी</ref> और कोई न आया बरूए-कार<ref>मौके पर सामने, काम के लिएआना</ref> सहरा मगर बतंगिबतंगी-ए-चश्मे-हुसूदहसूद<ref>ईर्ष्यालुओं की आँख की तरह तंग</ref> था
आशुफ़्तगी<ref>परेशानीविचलित होना</ref> ने नक़्शे-सवैदा<ref>दिल के दाग़ का चिन्ह</ref> किया दुरुस्त
ज़ाहिर हुआ कि दाग़ का सरमाया दूद<ref>धुआँ</ref> था
था ख़्वाब में ख़याल को तुझसे मुआमला<ref>लेन-देन</ref>जब आँख खुल गई न ज़ियाँज़ियां<ref>हानि</ref> था न सूद <ref>फायदा</ref> था
लेता हूँ मकतबे-ग़मे-दिल<ref>दिल के ग़म की पाठशाला</ref> में सबक़ हनोज़हनूज़<ref>अभीभी</ref> लेकिन यही कि 'रफ़्त' <ref>फारसी में 'गया' का मतलब</ref>-'गया', और 'बूद' <ref>फारसी में 'था' का मतलब</ref>-था
ढाँपा कफ़न ने दाग़े-अ़यूबे-बरहनगी<ref>नग्नता का दोष</ref>
मैं वर्ना हर लिबास में नंगे-वजूद<ref>अस्तित्व का कलंक</ref> था
तेशे <ref>कुल्हाड़ी</ref> बग़ैर मर न सका कोहकन<ref>फ़रहाद,शीरीं का प्रेमी</ref> 'असद' सरगश्ता-ए<ref>बँधा बुद्धु बना हुआ</ref> ख़ुमारे-रुसूम-ओ-क़यूद<ref>रीति-रिवाजके नशे में</ref> था
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