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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>शौक़ , हर रंग रक़ीबे, रक़ीब-ए-सर-सरोओ-सामां <ref>सामान का दुश्मन</ref> निकला क़ैस <ref>मजनूं</ref>, तस्वीर के पर्दे में भी , उरियां<ref>नग्न</ref> निकला
ज़ख़्म ने दाद न दी तंगी-ए-दिल की , यारब
तीर भी सीना-ए-बिस्मिल<ref>घायल की छाती</ref> से पर-अफ़शां<ref>पंख फड़फड़ाता हुआ</ref> निकला
बू-ए-गुल, नाला-ए-दिल<ref>दिल की आह</ref> , दूद<ref>धुआं</ref>-ए-चिराग़-ए-महफ़िल -जो तेरी बज़्म से निकला , सो परिशां निकला दिल-ए-हसरत-ज़दा<ref>इच्छुक</ref> था माइदा-ए-लज़्ज़त-ए-दर्द<ref>दर्द के मज़े का दावती-मेज़</ref>काम यारों का ब क़दर-ए-लब-ओ-दनदां<ref>हर किसी की काबलियत के अनुसार</ref> निकला
थी नौ-आमोज़<ref>नौसिखिया</ref>-फ़ना हिम्मते दुश्वार-पसंद
सख़्त मुश्किल है कि ये काम भी आसां निकला
दिल में , फिर गिरियांगिरिये<ref>रुदनएक खास कोलाहल</ref> ने इक शोर उठाया , "ग़ालिब" आह! जो क़तरा न निकला था, सो तूफ़ां निकला </poem>
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