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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
धमकी में मर गया जो न बाबेबाब-ए-नबर्द<ref>युद्ध का अभ्यासी</ref> थाइश्क़े-नबर्द-पेशा <ref>प्यार, जो युद्ध में अभ्यसत है</ref> तलबगारे-मर्द <ref>योद्धा की तलाश में</ref> था
था ज़िन्दगी में मर्ग <ref>मौत</ref> का खटका लगा हुआउड़ने से पेशतर <ref>पहले ही</ref> भी मिरा मेरा रंग ज़र्द था
तालीफ़<ref>सम्पादन</ref> नुसख़ा-ए-नुस्ख़ा-हाए-वफ़ा<ref>वफ़ा की किताब</ref> कर रहा था मैंमजमूअमजमूअ़-ए-ख़याल<ref>विचार-समूह</ref> अभी फ़र्द-फ़र्द<ref>बिखरा हुआ</ref> था
दिल ता ज़िग़र <ref>दिल से ज़िग़र तक</ref>, कि साहिल<ref>किनारा</ref>-ए-दरयादरिया-ए-खूं है अबइस उस रहगुज़र में जलवा-ए-गुल आगे दर्द गर्द था
जाती है कोई कश्मकश अन्दोहे-इश्क़<ref>प्रेम की वेदना</ref> की
अहबाब<ref>मित्र</ref> चारा-साज़ी-ए-वहशत<ref>उन्माद का उपचार</ref> न कर सके
ज़िन्दां <ref>कैद</ref> में भी ख़याल बयाबां-नवर्द<ref>जंगल में घूमना</ref> था यह लाश बेकफ़न 'असदे-ख़स्ता-जां' की हैहक़ मग़फ़िरत<ref>मुक्ति</ref> करे अजब आज़ाद मर्द था</poem>
यह लाश बेकफ़न 'असदे-ख़स्ता-जां'<ref>टूटे दिल वाले असद</ref> की है
हक़ मग़फ़रत करे<ref>खुदा दया करे</ref> अ़जब आज़ाद मर्द था
</poem>
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