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[[Category:ग़ज़ल]]
 
खुलेगी इस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ता<br>
किया जाता है पानी में सफ़र आहिस्ता आहिस्ता<br><br>
कोई ज़ंज़ीर ज़ंजीर फिर वापस वहीं पर ले के आती है<br>
कठिन हो राह तो छुटता है घर आहिस्ता आहिस्ता<br><br>
बदल देना है रस्ता या कहीं पर बैठ जाना है<br>
कि ठकता थकता जा रहा है हमसफ़र आहिस्ता आहिस्ता<br><br>
ख़लिश के साथ इस दिल से न मेरी जाँ निकल जाये<br>