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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>हंगामा है क्यूँ बरपा , थोड़ी सी जो पी ली है<br>डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है<br><br>
ना-तजुर्बाकारी से , वाइज़ <ref>धर्मोपदेशक</ref> की ये बातें हैं<br>इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है<br><br>
वाइज़= धर्मोपदेशकउस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगानामक़सूद<brref>मनोरथ</ref> है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती है
उस मय से नहीं मतलब दिल जिस से है बेगानावां<brref>वहाँ</ref>मक़सूद है उस मय से, दिल ही में जो खिंचती हैकि दो सदमे,यां<brref>यहाँ<br/ref>जी में कि सब सह लोउन का भी अजब दिल है, मेरा भी अजब जी है
मक़सूद= मनोरथहर ज़र्रा चमकता है, अनवर-ए-इलाही<brref>दैवी प्रकाश</ref> सेहर साँस ये कहती है, कि हम हैं तो ख़ुदा भी है
वाँ दिल में कि सदमे दो या जी में के सब सह लो<br>उन का भी अजब दिल है मेरा भी अजब जी है<br><br> हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से<br>हर साँस ये कहती हम हैं तो ख़ुदा भी है<br><br> अनवार-ए-इलाही= दैवी प्रकाश<br> सूरज में लगे धब्बा, फ़ितरत <ref>प्रकृति</ref> के करिश्मे हैं<br>बुत हम को कहे कहें काफ़िर, अल्लाह की मर्ज़ी है <br><br/poem> फ़ितरत= प्रकृति{{KKMeaning}}