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इश्क़ का कारोबार करते थे / चाँद शुक्ला हदियाबादी
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16:19, 27 मार्च 2010
अब तो बस इतना याद है के उन्हें
याद हम
बे शुमार
बेशुमार
करते थे
याद में तेरी रात भर तन्हा
"चाँद" तारे शुमार करते थे.
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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