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Kavita Kosh से
पहला पेज खोलते ही
परोसने लगता है डरावनी खबरें ख़बरें
करता है
क्रांति का आह्वान
कोई उपभोक्ता वस्तु
खरीदने को कहता है
हिंदी का मेरा अखबार अख़बार
पिछड़ा बता हिंदी को
हिंगलिश सीखने की करता वकालत
प्रेम, अभिसार और गर्भधारण का वात्स्यायन
जब मेरी किशोर बेटी इसे पढने पढ़ने बैठती है
मैं सहम कर दूर हट जाता हूँ
वह किसी अश्लील विज्ञापन का निहितार्थ