|रचनाकार= जावेद अख़्तर
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[[Category:ग़ज़ल]]
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प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
मेरे हालत की आंधी में बिखर जाओगी
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी <br>मेरे हालत रंज और दर्द की आंधी बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में बिखर जओगी <br><br>भी ज़िन्दा हूँ ख़्वाब क्यूँ देखूँ वो कल जिसपे मैं शर्मिन्दा हूँ मैं जो शर्मिन्दा हुआ तुम भी तो शरमाओगी
रंज क्यूं मेरे साथ कोई और दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ <br>परेशान रहे मेरी दुनिया है जो वीरान तो वीरान रहे ज़िन्दगी का ये सफ़र तुमको तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी ज़िन्दा हूँ <br>आसान रहे ख्वाब क्यूँ देखूँ वो कल जिसपे मैं शर्मिन्दा हूँ <br>मैं जो शर्मिन्दा हुआ तुम भी हमसफ़र मुझको बनाओगी तो शरमाओगी <br><br>पछताओगी
क्यूं मेरे साथ कोइ और परेशान रहे <br>मेरी दुनिया है जो वीरान तो वीरान रहे <br>ज़िन्दगी का ये सफ़र तुमको तो आसान रहे <br>हमसफ़र मुझको बनओगी तो पछताओगी <br><br> एक मैं क्या अभी आयेंगे दीवाने कितने <br>अभी गूंजेगे मुहब्बत के तराने कितने <br>ज़िन्दगी तुमको सुनायेगी फ़साने कितने <br>क्यूं समझती हो मुझे भूल नही पाओगी <br><br/poem>