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Kavita Kosh से
* [[जोग बिजोग की बातें झूठी सब जी का बहलाना हो / इब्ने इंशा]]
* [[कमर बांधे हुए चलने पे यां सब यार बैठे हैं / इब्ने इंशा]]
* [[ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली / इब्ने इंशा]]