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Kavita Kosh से
तुमने बताया ख़ून के रिश्तों से बढ़कर
लोकमंगल है
प्रेम का मूल्य सबसे बढ़कर है
स्त्रियों का सम्मान और स्वतंत्रता
प्रथम भारतीय धारनीय है
निर्भय वही है जो निर्लिप्त है
व्यक्तिगत महत्वकांक्षा महत्वकांक्षाऐ सर्वप्रथम त्याज्य है सत्य वह नहीं है जो हम हमने सुन कर माना मनन करते है हो
सत्य वही है जिसका हम आविष्कार करते हैं
है परम क्रन्तिकारी