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Kavita Kosh से
अलग चुल चिणण भैगो
अलग चाल-चलक् चलूंण भैगो
उं पुछणईं शै-शिल कांहु गो ! निकावगुसैंक्!
पत्यणि हाली शै-शिल, फत्यणि हाली शै-शिल
खजबजै-घजबजै हाली शै-शिल
उं पुछणईं अरे! ग्वाव काहुं कल्टोईणौ शै!
मैं सोचूं सैद यस न्हां
यो ढुग-पाथर इतुक सितिल-पितिल न्हान्तन
यां न्हातन जास-कास पैग सिदु-बिदु !
क्वे कल्मुखी वंशाक्-बान
यो ढुगन कैं मणीं लै डरै नि सकन
क्वे ढान-भुई, द्यो बादव, अजुगुति-अणहोति