भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर' |संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथ…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
}}
{{KKCatKavitt}}
<poem>
आए लौटि लज्जित नवाए नैन ऊधौ अब
::सब सुख-साधन कौ सूधौ सौ जतन लै ।
कहै रतनाकर गँवाए गुन गौरव औ
::गरब-गढ़ी कौ परिपूरन पतन लै ॥
छाए नैन नीर पीर-कसक कमाए उर
::दीनता अधीनता के भार सौं नतन लै ।
प्रेम-रस रुचिर बिराग-तूमड़ी में पूरि
::ज्ञान-गूदड़ी में अनुराग सौ रतन लै ॥105॥
</poem>
916
edits