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Kavita Kosh से
पुराने घर की परछत्तियों पर
चमगादड़ों से उल्टे लटके
और दिन को रात महसूस करवाते हैं
उस त्रिशंकु-युग को जीने की निसबत
टूटना कहीं बेहतर था ।
तीन भाइयों में एक
अनजाना
अनचाहामंझला
आदर के लिए बड़ा
स्नेह के लिए छोटा