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Kavita Kosh से
तभी जाना था मैंने
कि रुपये के का नोट
एक आयताकार सलीब है
जो आदमी को मरने नहीं देती
कुबेर इतना बदसूरत है
कि देखने नहीं देता
डसा-प्रसा ग्रसा सूरज
कुबेर इतना बहरा है
कि सुनने नहीं देता