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मायावी सरोवर की तरह<br />
अदृश्‍य हो गये पिता<br />
रह गये हम<br />
पानी की खोज में भटकते पक्षी<br />
<br />
ओ मेरे आकाश पिता<br />
टूट गये हम<br />
तुम्‍हारी नीलिमा में टॅंके<br />
झिलमिल तारे<br />
<br />
ओ मेरे जंगल पिता<br />
सूख गये हम<br />
तुम्‍हारी हरियाली में बहते<br />
कलकल झरने<br />
<br />
ओ मेरे काल पिता<br />
बीत गये तुम<br />
रह गये हम<br />
तुम्‍हारे कैलेण्‍डर की<br />
उदास तारीखें<br />
<br />
हम झेलेंगे दुःख<br />
पोंछेगे ऑंसू<br />
और तुम्‍हारे रास्‍ते पर चलकर<br />
बनेंगे सरोवर, आकाश, जंगल और काल<br />
ताकि हरी हो घर की एक-एक डाल.<br />
<br />
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