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नया पृष्ठ: धान-कटाई के बाद <br /> खाली खेतों में<br /> वे रंगीन चिडि़यों की तरह उतरत…
धान-कटाई के बाद <br />
खाली खेतों में<br />
वे रंगीन चिडि़यों की तरह उतरती हैं<br />
सिला बीनने झुण्ड की झुण्ड<br />
और एक खेत से दूसरे खेत में<br />
उड़ती फिरती हैं<br />
<br />
दूबराज हो<br />
विष्णुभोग या नागकेसर<br />
वे रंग और खुशबू से<br />
उन्हें पहचान लेती हैं<br />
<br />
दोपहर भर फैली रहती है<br />
पीली धूप में उनकी हॅंसी<br />
और गुनगुनाहट<br />
<br />
उनके बालों में हॅंसते रहते हैं<br />
कनेर के फूल<br />
और एक गुलाबी रोशनी <br />
उनके चेहरे से फूटकर<br />
फैलती रहती है धरती पर<br />
<br />
जब झुकने लगते हैं दिन के कन्धे<br />
और उन्हें लगता है कि इतनी <br />
बालियों से हो जायेगा तैयार<br />
एक जून के लिए बटकी भर भात<br />
वे लौट जाती हैं घर<br />
<br />
जैसे चोंच मारकर उड़ जाने के बाद भी<br />
बहुत देर तक भरा रहता है<br />
पानी में जलपॉंखी का संगीत <br />
खाली खेतों में<br />
बहुत देर तक भरा रहता है <br />
उनका होना.<br />
<br />
--[[सदस्य:Pradeep Jilwane|Pradeep Jilwane]] 10:42, 24 अप्रैल 2010 (UTC)
खाली खेतों में<br />
वे रंगीन चिडि़यों की तरह उतरती हैं<br />
सिला बीनने झुण्ड की झुण्ड<br />
और एक खेत से दूसरे खेत में<br />
उड़ती फिरती हैं<br />
<br />
दूबराज हो<br />
विष्णुभोग या नागकेसर<br />
वे रंग और खुशबू से<br />
उन्हें पहचान लेती हैं<br />
<br />
दोपहर भर फैली रहती है<br />
पीली धूप में उनकी हॅंसी<br />
और गुनगुनाहट<br />
<br />
उनके बालों में हॅंसते रहते हैं<br />
कनेर के फूल<br />
और एक गुलाबी रोशनी <br />
उनके चेहरे से फूटकर<br />
फैलती रहती है धरती पर<br />
<br />
जब झुकने लगते हैं दिन के कन्धे<br />
और उन्हें लगता है कि इतनी <br />
बालियों से हो जायेगा तैयार<br />
एक जून के लिए बटकी भर भात<br />
वे लौट जाती हैं घर<br />
<br />
जैसे चोंच मारकर उड़ जाने के बाद भी<br />
बहुत देर तक भरा रहता है<br />
पानी में जलपॉंखी का संगीत <br />
खाली खेतों में<br />
बहुत देर तक भरा रहता है <br />
उनका होना.<br />
<br />
--[[सदस्य:Pradeep Jilwane|Pradeep Jilwane]] 10:42, 24 अप्रैल 2010 (UTC)