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नया पृष्ठ: चार सौ सोलह, सेक्टर अड़तीस में<br /> हम दो रहते हैं<br /> <br /> समय और स्था…
चार सौ सोलह, सेक्टर अड़तीस में<br />
हम दो रहते हैं<br />
<br />
समय और स्थान के भूगोल को<br />
दो कमरों में हमने<br />
समेटना चाहा है<br />
<br />
बॉंटना चाहा है<br />
खुद को<br />
हरे-पीले पत्तों में<br />
<br />
हमारे छोटे से सुख-दुःख हैं<br />
हम झगड़ते हैं, प्यार करते हैं<br />
<br />
दूर-सुदूर देशों तक<br />
हमारे धागे<br />
पहुंचते हैं स्पंदित होंठों तक<br />
आक्रोश भरे दिन-रात<br />
आ बिखरते हैं<br />
चार सौ सोलह, सेक्टर अड़तीस<br />
के दो कमरों में<br />
<br />
हमारे आस्मान में<br />
एक चॉंद उगता है<br />
<br />
--[[सदस्य:Pradeep Jilwane|Pradeep Jilwane]] 06:14, 25 अप्रैल 2010 (UTC)
हम दो रहते हैं<br />
<br />
समय और स्थान के भूगोल को<br />
दो कमरों में हमने<br />
समेटना चाहा है<br />
<br />
बॉंटना चाहा है<br />
खुद को<br />
हरे-पीले पत्तों में<br />
<br />
हमारे छोटे से सुख-दुःख हैं<br />
हम झगड़ते हैं, प्यार करते हैं<br />
<br />
दूर-सुदूर देशों तक<br />
हमारे धागे<br />
पहुंचते हैं स्पंदित होंठों तक<br />
आक्रोश भरे दिन-रात<br />
आ बिखरते हैं<br />
चार सौ सोलह, सेक्टर अड़तीस<br />
के दो कमरों में<br />
<br />
हमारे आस्मान में<br />
एक चॉंद उगता है<br />
<br />
--[[सदस्य:Pradeep Jilwane|Pradeep Jilwane]] 06:14, 25 अप्रैल 2010 (UTC)