भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: इस बार<br /> पहाड़ों से उतरते<br /> तुम्हें देखता रहा<br /> <br /> तुम्हारी च…
इस बार<br />
पहाड़ों से उतरते<br />
तुम्हें देखता रहा<br />
<br />
तुम्हारी चाही सन्तान को<br />
पहाड़ी बादल<br />
मेरे रोओं में बॉंटते रहे<br />
<br />
सोचता रहा<br />
कैसी होगी वह दुनिया<br />
जहॉं तुम्हारी मेरी<br />
सन्तान खिलेगी<br />
<br />
उसे हम<br />
पहाड़ तो जरूर देंगे<br />
जब तुम उसे<br />
मेरी बॉंहों में देख<br />
खुश हो जाओ<br />
मैं धीरे से उसे कहूंगा<br />
<br />
कैसे उसकी मॉं को<br />
मैंने पहाड़ों पर चूमा था<br />
और<br />
लाज से झुक गये थे पहाड़.<br />
<br />
पहाड़ों से उतरते<br />
तुम्हें देखता रहा<br />
<br />
तुम्हारी चाही सन्तान को<br />
पहाड़ी बादल<br />
मेरे रोओं में बॉंटते रहे<br />
<br />
सोचता रहा<br />
कैसी होगी वह दुनिया<br />
जहॉं तुम्हारी मेरी<br />
सन्तान खिलेगी<br />
<br />
उसे हम<br />
पहाड़ तो जरूर देंगे<br />
जब तुम उसे<br />
मेरी बॉंहों में देख<br />
खुश हो जाओ<br />
मैं धीरे से उसे कहूंगा<br />
<br />
कैसे उसकी मॉं को<br />
मैंने पहाड़ों पर चूमा था<br />
और<br />
लाज से झुक गये थे पहाड़.<br />
<br />