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नया पृष्ठ: घर-घर<br /> मॉंगती हैं फूल<br /> सॉंझ गहराने से पहले<br /> कार्तिक-स्नान कर…
घर-घर<br />
मॉंगती हैं फूल<br />
सॉंझ गहराने से पहले<br />
कार्तिक-स्नान करने वाली लड़कियॉं<br />
<br />
फूल अगर केसरिया हो<br />
खिल उठती हैं लड़कियॉं<br />
एक केसरिया फूल से कार्तिक में<br />
मिलता है एक मासे सोने का पुण्य<br />
कहती हैं लड़कियॉं<br />
<br />
एक-एक फूल के लिए<br />
दौड़ती हैं झपटती हैं<br />
लड़ती हैं लड़कियॉं<br />
और कॉंटों के चुभने की<br />
परवाह नहीं करतीं<br />
<br />
लौटती हुई लड़कियॉं गिनती हैं<br />
अपने-अपने हिस्से के फूल <br />
और हिसाबती हैं<br />
कि कल उन्हें मिल जायेगा<br />
कितने मासे सोने का पुण्य?<br />
<br />
कितनी भोली हैं<br />
मेरे गॉंव की लड़कियॉं<br />
जो अलस्सुबह उठती हैं<br />
और रात के दुर्गम जंगल को पहली बार<br />
अपनी हॅंसी के फूलों से भर देती हैं<br />
<br />
तालाब के गुनगुने जल में<br />
नहाती हुई लड़कियॉं हॅंसती हैं<br />
छेड़ती हैं एक-दूसरे को<br />
मारती हैं छींटे<br />
और लेती हैं सबके मन की थाह<br />
<br />
इतना-इतना सोना चढ़ाकर मुंह अंधेरे<br />
अपने भोले बाबा से<br />
क्या मॉंगती हैं?<br />
<br />
मॉंगती हैं फूल<br />
सॉंझ गहराने से पहले<br />
कार्तिक-स्नान करने वाली लड़कियॉं<br />
<br />
फूल अगर केसरिया हो<br />
खिल उठती हैं लड़कियॉं<br />
एक केसरिया फूल से कार्तिक में<br />
मिलता है एक मासे सोने का पुण्य<br />
कहती हैं लड़कियॉं<br />
<br />
एक-एक फूल के लिए<br />
दौड़ती हैं झपटती हैं<br />
लड़ती हैं लड़कियॉं<br />
और कॉंटों के चुभने की<br />
परवाह नहीं करतीं<br />
<br />
लौटती हुई लड़कियॉं गिनती हैं<br />
अपने-अपने हिस्से के फूल <br />
और हिसाबती हैं<br />
कि कल उन्हें मिल जायेगा<br />
कितने मासे सोने का पुण्य?<br />
<br />
कितनी भोली हैं<br />
मेरे गॉंव की लड़कियॉं<br />
जो अलस्सुबह उठती हैं<br />
और रात के दुर्गम जंगल को पहली बार<br />
अपनी हॅंसी के फूलों से भर देती हैं<br />
<br />
तालाब के गुनगुने जल में<br />
नहाती हुई लड़कियॉं हॅंसती हैं<br />
छेड़ती हैं एक-दूसरे को<br />
मारती हैं छींटे<br />
और लेती हैं सबके मन की थाह<br />
<br />
इतना-इतना सोना चढ़ाकर मुंह अंधेरे<br />
अपने भोले बाबा से<br />
क्या मॉंगती हैं?<br />
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