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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव |संग्रह=अन्न हैं मेरे शब्द / एकांत श्रीवास्तव }}{{KKCatKavita}}<Poem>इस रंग के बारे में<br />कोई भी कथन इस वक्त<br />वक़्तकितना दुस्साहसिक काम है<br />जब जी रहे हैं इस रंग को<br />गेंदे के इतने और इतने सारे फूल<br /><br />जब हॅंस हँस रहे हों<br />पृथ्वी पर अजस्ञ अजस्र फूल<br />सरसों और सूरजमुखी के <br />सूर्य भी जब चमक रहा हो<br />ठीक इसी रंग में<br />और यही रंग जब गिर रहा हो<br />सारी दुनिया की देह पर<br /><br />यह रंग हल्दी की उस गॉंठ गाँठ का है<br />जो सिल पर लोढ़े के ठीक नीचे<br />पिसी जाने के इंतजार में है<br /><br />यह एक बहुत नाजुक रंग है<br />जिससे रंगी है<br />लड़कियों की चुन्नी और नींद<br /><br />सुनो! मुझे खुशी है <br />कि मैं इस रंग से चीजों को जुदा करने की<br />साजिश में शामिल नहीं हूं.<br />हूँ।<br /poem>