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कविता-1 / लाल्टू

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=लाल्टू|संग्रह= एक झील थी बर्फ़ की / लाल्टू}}<poem>सबने जो कहा<br />उससे अलग<br />बाकी सिर्फ धुंध था<br /><br />शब्‍द उगा<br />सबने कहा<br />गुलाब खूबसूरत<br /><br />शब्‍द घास तक पहुंचा<br />पहुँचाकिसी ने देखी<br />घास की हरीतिमा<br />किसी ने देखा<br />घास पैरों तले दबी<br /><br />धुंध का स्‍वरूप<br />जब जहॉं जहाँ जैसा था<br />वैसा ही चीरा उसे शब्‍द ने.<br />ने।<br /poem>
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