भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: जमीन<br /> बिक जाने के बाद भी<br /> पिता के सपनों में<br /> बिछी रही रात भर<br /> <…
जमीन<br />
बिक जाने के बाद भी<br />
पिता के सपनों में<br />
बिछी रही रात भर<br />
<br />
वह जानना चाहती थी<br />
हल के फाल का स्वाद<br />
चीन्हना चाहती थी<br />
धॅंवरे बैलों के खुर<br />
<br />
वह चाहती थी<br />
कि उसके सीने में लहलहायें<br />
पिता की बोयी फसलें<br />
<br />
एक अटूट रिश्ते की तरह<br />
कभी नहीं टूटना चाहती थी जमीन<br />
बिक जाने के बाद भी.<br />
<br />
बिक जाने के बाद भी<br />
पिता के सपनों में<br />
बिछी रही रात भर<br />
<br />
वह जानना चाहती थी<br />
हल के फाल का स्वाद<br />
चीन्हना चाहती थी<br />
धॅंवरे बैलों के खुर<br />
<br />
वह चाहती थी<br />
कि उसके सीने में लहलहायें<br />
पिता की बोयी फसलें<br />
<br />
एक अटूट रिश्ते की तरह<br />
कभी नहीं टूटना चाहती थी जमीन<br />
बिक जाने के बाद भी.<br />
<br />